Festive Season ने Indian Economy को दिया Booster Dose!
- Shshank Shekhar Joshi

- Oct 25
- 2 min read
भारत का जश्न – सेल और सेंटीमेंट दोनों में रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन!
बीते हफ़्ते भारत ने दोहरा उत्सव मनाया — एक तरफ़ सड़कों और बाज़ारों में दीवाली की चमक थी, तो दूसरी तरफ़ शेयर बाज़ार में लगातार चौथे हफ़्ते तक हरियाली छाई रही। उपभोक्ता भावना (consumer sentiment) इतनी मज़बूत दिखी कि अर्थव्यवस्था के हर पहिए ने रफ़्तार पकड़ ली।
रिकॉर्ड-ब्रेकिंग फ़ेस्टिव सीज़न – ₹6.05 लाख करोड़ की चमक
कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) की रिपोर्ट के मुताबिक़, इस बार की दीवाली सेल ने इतिहास रच दिया — ₹6.05 लाख करोड़ का कुल व्यापार, जो पिछले साल से 25% ज़्यादा रहा।
Gold & Jewellery की दुकानों पर भीड़ लगी रही।
FMCG और Electronics में शानदार डिमांड देखने को मिली।
और Auto सेक्टर तो मानो “फुल थ्रॉटल” पर था — सिर्फ़ धनतेरस के दिन 1 लाख से ज़्यादा नई गाड़ियाँ डिलीवर हुईं।
ये सब कुछ सिर्फ़ एक बात कहता है — भारतीय अर्थव्यवस्था अब केवल रीकवर नहीं कर रही, बल्कि गति पकड़ चुकी है!
शेयर बाज़ार की हरियाली – भरोसे और उम्मीद का संकेत
चार हफ़्तों से लगातार Sensex और Nifty दोनों हरे निशान में हैं।
Investors में नया जोश है — और इसकी दो बड़ी वजहें हैं: India–US Trade Deal की उम्मीदें, जिससे Export सेक्टर को बड़ा फ़ायदा मिल सकता है।
Festive season की sales और corporate earnings में मज़बूती, जिसने Market को अतिरिक्त ऊर्जा दी है।
इस समय “Market Sentiment” सिर्फ़ positive नहीं है, बल्कि संतुलित रूप से आशावादी है — जो long-term investors के लिए एक perfect माहौल बनाता है।
निवेशक के लिए सीख (Investor Insights):
Strong consumption = Strong corporate profits
जब लोगों की खरीदारी बढ़ती है, तो कंपनियों के मुनाफ़े भी आसमान छूते हैं।
Trade deal optimism = Export opportunities
Global trade सुधारने से भारत के कई सेक्टर — जैसे Textile, Pharma, IT — को नया विस्तार मिलेगा।
Positive momentum = SIP discipline का बोनस
जिन निवेशकों ने SIP में अनुशासन बनाए रखा है, उन्हें अब उसके असली फल मिलने का समय है।
भविष्य की दिशा – उत्सव से अवसर तक
यह सिर्फ़ एक festive week नहीं था, बल्कि भारत की consumption-driven growth story का एक शानदार अध्याय था।
अब समय है इस energy को savings और investments में बदलने का — ताकि आपकी personal economy भी उतनी ही चमके जितनी भारत की macro economy चमक रही है।
दीवाली की रोशनी सिर्फ़ घरों तक सीमित नहीं रही, बल्कि उसने भारतीय अर्थव्यवस्था के हर कोने को जगमगा दिया।और जैसा कि कहा जाता है —
“जब उपभोक्ता खुश होता है, तो बाजार मुस्कुराता है; और जब बाजार मुस्कुराता है, तो निवेशक समृद्ध होता है।”




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